मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो,
क्या उसे नहीं मालूम की
उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो,
क्या उसे नहीं मालूम की
उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता …
यादों की मधुमक्खियां डंसती रहीं
वो गया जो छत्ते पे पत्थर मार कर|
कितना चालाक मेरा यार सितमगर निकला
उस ने तोहफे में घड़ी दी है मगर वक़्त नही..
दुनिया तेरे वजूद को करती रही तलाश,
हमने तेरे ख़याल को दुनिया बना लिया!
कल का आशिक़ वफ़ा तलाश करता था,
आज का आशिक जगह तलाश करता है!
तुम भी सच का सामना कर लो बैठो
सुकून से सामने अपने आईना कर लो!
बड़े प्यारे होते है न ऐसे रिश्ते.जिन पर
कोई हक़ भी न हो और शक भी न हो।
कांटो से बच बच के चलता रहा उम्र भर..
क्या खबर थी की..
चोट एक फूल से लग जायेगी |
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र बढने के साथ…
बचपन कि जिद समझोतों में बदल जाती है..!!
मेरे मिज़ाज को समझने के लिए, बस इतना ही काफी है,
मैं उसका हरगिज़ नहीं होता…..
जो हर एक का हो जाये।