जो कभी किया ना असर शराब ने,
वो तेरी आँखों वे कर दिया,
सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,
मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो कभी किया ना असर शराब ने,
वो तेरी आँखों वे कर दिया,
सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,
मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..
आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम
. . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।
कीसीने युंही पुछ लिया की दर्दकी किमत क्या है?
हमने हंसते हुए कहा, पता कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है।
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे,
कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..
ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए,
.दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से…
घर तो आखिर घर होता है…
तुम रह लो या मैं रह लूँ….
कोशिश तो बहुत करता है तू की भूल जाए उसे.
मगर मुमकिन कहाँ है कि आग लगे और धुंवा ना हो..
आज तबियत कुछ नासाज़ सी लग रही है लगता है किसी की दुआओ का असर हो रहा है|
अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें, आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का ..
कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी
अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता…