जो कभी किया ना

जो कभी किया ना असर शराब ने,

वो तेरी आँखों वे कर दिया,

सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,

मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..

आ थक के कभी

आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम
. . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।

कीसीने युं ही

कीसीने युंही पुछ लिया की दर्दकी किमत क्या है?
हमने हंसते हुए कहा, पता कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है।

कुछ तो है

कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी
अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता…