देखकर हैरान हूं आईने का जिगर..!
एक तो कातिल सी नजर उस पर काजल का कहर
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देखकर हैरान हूं आईने का जिगर..!
एक तो कातिल सी नजर उस पर काजल का कहर
तू कितनी भी खूबसूरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी,
खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तू अच्छी नहीं लगती।
नौकरी की चाहत में दिन भर जाने भटका होगा कैसे
जिसके बटवे में रखने को कम गिनने को ज्यादा हैं
कुछ तो ऐसा भी करो कि प्यार उमडे बुजुर्गों में।
करनी सही न हुई तो मांगने से दुआ कोई नहीं देगा।।
पिला दे आज सारे मैखाने की शराब की बोतल ए साकी अगर ग़म-ए-यार भूल गया तो तेरा मैखाना ही खरीद लूंगा |
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक सा है….
वो तारों में तन्हा है, मैं हजारों में तन्हा।
कागज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल
रंगों का एतबार है क्या सूंघ के भी देख|
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती|
मुझे न जाने किन कर्मों की सजा देते हैं.
आख़िरी घूँट हूँ ,बहुत लोग छोड़ देते हैं .!!
सादगी जँचती नहीं, हर किसी पे यहाँ,
जलेबियाँ उलझी रहें, तो अच्छा है|