मेरे शहर मैं

मेरे शहर मैं खुदाओं की कमी नहीं है,दिक्कतें तो मुझे आज भी
इंसान ढूंढने में होती है…

रिश्ते और नाते..

रिश्ते और नाते.. मतलब की पटरी पर चलने वाली वो रेलगाड़ी है,
जिसमे..जिस जिस का स्टेशन आता वो उतर जाता है !

उस की आँखों में

उस की आँखों में नज़र आता है सारा जहाँ मुझ को;
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा मैंने।