खुद को कुछ इस तरह

खुद को कुछ इस तरह तबाह किया,
इश्क़ किया क्या ख़ूबसूरत गुनाह किया,
जब मुहब्बत में न थे तब खुश थे हम,
दिल का सौदा किया बेवजह किया|

तू तो हँस हँसकर

तू तो हँस हँसकर जी रही है,
जुदा होकर भी..
कैसे जी पाया होगा वो,
जिसने तेरे सिवा जिन्दगी कभी सोची ही नहीं..

माना की आज

माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर…

बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…