जान जब प्यारी थी, तब दुश्मन हज़ारों थे,
अब मरने का शौक है, तो क़ातिल नहीं मिलते।
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जुबां की खामोशी
जुबां की खामोशी पर मत जाओ,
राख के नीचे हमेशा आग दबी होती है।
एक बच्चा खुश हुआ
एक बच्चा खुश हुआ खरीद कर गुब्बारा,
दुसरा बच्चा खुश हुआ बेच कर गुब्बारा।
हज़ार महफ़िलें हो
हज़ार महफ़िलें हो, लाख मेले हो,
जब तक खुद से ना मिलो, अकेले ही हो।
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना “गांव” छोड़ने को !!
वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।
शायरी का रंग
शायरी का रंग और भी गुलनार हो जाता है,
जब दो शायरों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है..
इश्क क्या जिंदगी देगा
इश्क क्या जिंदगी देगा किसी को दोस्त…..
ये तो शुरू ही किसी पर मरने से होता है…!!
मसरूफियत में आती है
मसरूफियत में आती है बेहद तुम्हारी याद….!!और फुरसत में तेरी याद से फुरसत नहीं मिलती…..!!
निगाहों से छुप कर
निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा
जहाँ जाइएगा, हमें पाइएगा
मिटा कर हमें आप पछताइएगा
कमी कोई महसूस फ़र्माइएगा
नहीं खेल नासेह! जुनूँ की हक़ीक़त
समझ लीजिए तो समझाइएगा
कहीं चुप रही है ज़बाने-मोहब्बत
न फ़र्माइएगा तो फ़र्माइएगा
होता अगर मुमकिन
होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बना कर रखते सीने में,
तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊँ तो तू नही…