एहसान ये रहा मुझ पर तोह़मत लगाने वालों का
उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एहसान ये रहा मुझ पर तोह़मत लगाने वालों का
उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया!!
तेरी आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंजा करती है,
वो तेरा एक बार का कहना “तुम सिर्फ मेरे हो ..!
कौन कहता है आईना झूठ नहीं बोलता… वह
सिर्फ होठो की मुस्कान देखता है… दिल का दर्द नहीं…!!
तेरी नज़र पे भी मुकदमा हो
तेरी नज़र तो क़त्लेआम करे…
धुप से जल कर मरा है वो,
कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!
दिमाग का दिल से अगर वास्ता नहीं होता !
क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता…!!
कितनी शिद्दत से तराशा था उस शख्स
का किरदार हमने..,.
जब हुआ मुक्कमल तो हमे ही पहचानना
भूल गया…..
दोहरी हुकूमत जताना कोई तुमसे सीखे,खुद तो बात करेंगे नहीं…….
उस पर मेरा रूठना भी बर्दाश्त नहीं ।।
जो नहीं है हमारे पास वो ख्वाब हैं,
पर जो है हमारे पास वो लाजवाब हैं…
मेरा खुदा एक ही है….
जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला
भटक गया था मै….
जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..