मैं कोशिश करता हुँ कि पूरे दिन काम कर के इतना थक जाऊँ..
की बिस्तर पर जातें हीं नींद आ जाए ना की तेरी याद…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं कोशिश करता हुँ कि पूरे दिन काम कर के इतना थक जाऊँ..
की बिस्तर पर जातें हीं नींद आ जाए ना की तेरी याद…
कहीं दरिया का ग़ुरूर ना टूट जाए
मैं आंसू वक़्त आने पे निचोडुंगा |
एक कोशिश तुझे पाने के लिए
आज अफवाह है ज़माने के लिए
डर लगता है कहीं अकेला ना हो ज़ाऊ…
इसलिये तेरी याद को साथ लिये चलता हूँ …!
दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकला ,
आँख का तिनका बहुत आँख मसल कर निकला..
दुआ करो मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ,
तुम्हे भी देख सकूँ, खुद को भी सम्भाल सकूँ !!
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
पूछ रही है आज मेरी हर शायरी मुझसे
कहाँ गए वो दीवाने जो वाह वाह किया
करते थे |
बेहद हदें पार
की थी
हमने कभी
किसी के लिए,
आज उसी
ने सिखा दिया
हद में रहना….!!
ख्वाईश दो निवालों की हमे बर्तन की हाजत क्या,
फ़खिर अपनी हथेली को ही दस्तरख्वान कहते हैं.!