कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब…
अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब…
अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…
गीली आँखों का दर्द कुछ ख़फ़ा सा है…ये जो सीने में धड़कता है बेवफ़ा सा है…
आहिस्ता बोलने का उनका अंदाज़ भी कमाल था..
कानो ने कुछ सुना नही और दिल सब समझ गया..
तुझे याद कर लूं तो मिल जाता है सुकून दिल को,मेरे गमों का इलाज भी कितना सस्ता है..
तुम सामने बैठी रहो,तुम्हारा हुस्न पिता रहूं,मौत जो आ गयी दरमियाँ,मरकर भी जीता रहूं|
उसने एक बार….
अपनी बाहो में भर कर अपना कहा था मुझको
उस दिन से आज तक मैं अपने आप का भी ना हो सका|
जिन्दगी जीने का मजा तब तक जब तक वो जरा अधूरी रही,
मौका दूसरा हर किसी के मुकद्दर में हो ये जरूरी नहीं।।
मेरी बात मानो तो छोड़ दो ये मोहब्बत करना,
हर हकीम ने हाथ जोड़ लिये है इस मर्ज से !!
हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त,
बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में जाल बिछाने वाले !!
कभी पास बैठ कर गुजरा तो कभी दूर रह कर गुजरा,
लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा|