हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं,
पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं,
पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
बैठ जाता हूँ अब खुले आसमान के नीचे तारो की छाँव मे,,,
अब शौक नही रहा महफिलो मे रंग जमाने का…
इस तरह सुलगती तमन्नाओं को बुझाया मैं ने,
करके रोशन यार की महफ़िल अपना घर जलाया मैंने…
ताश के पत्तों में दरबदर बदलते चले गए…
इश्क़ में सिमटे तो ऐसे के बिखरते चले गए…
यूँ तो दिल ने बसायी थी एक दुनिया उनके संग…
रहने को जब भी निकले उजड़ते चले गए…
चल पडी है मेरी दुआए असर करने को….
तुम बस मेरे होने की तैयारी कर लो…!!
किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक हो तो बताना दोस्तों …
मुझे अपना महबूब अपने नाम
करवाना है..
गुमान न कर अपनी खुशनसीबी का..
नशीबी मे होगा तो तुझे भी इश्क होगा..
प्यार मे वह पल बहुत खूबसूरत होता है
जब देखना इबादत और छूना गुनाह लगता है !!
जींदगी गुज़र गई सारी कांटो की कगार पर,
और फुलो ने मचाई है भीड़ हमारी मजार पर|
दूर – दूर भगते फिरें, जो हैं ख़ासम – ख़ास।
सभी व्यंजनों की हुई, गायब आज मिठास।।