निर्धन दिल का है धनी, और धनी है दीन।
निर्धन दिल से साफ़ है, और धनी है हीन।।
कोई किसका दास है, कोई किसका दास।
मन फ़क़ीरी खिल्ल उठे, होवे कभी उदास।।
देह काम करता नहीं, बुद्धि न देती साथ।
जब भी मुँह खोलूँ सदा, निकले उलटी बात।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
निर्धन दिल का है धनी, और धनी है दीन।
निर्धन दिल से साफ़ है, और धनी है हीन।।
कोई किसका दास है, कोई किसका दास।
मन फ़क़ीरी खिल्ल उठे, होवे कभी उदास।।
देह काम करता नहीं, बुद्धि न देती साथ।
जब भी मुँह खोलूँ सदा, निकले उलटी बात।।
कौन कहता है दुनिया में
हमशक्ल नहीं होते
देख कितना मिलता है
तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!
तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी,
.
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लेकिन…..
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.
“मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती
है….!!
रोएँगे देख कर सब बिस्तर की हर शिकन को.
:
वो हाल लिख चला हूँ करवट बदल बदल कर.
रफ्ता रफ्ता उन्हें भूले हैं मुद्दतों में हम..
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिये..
ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..
मौसम जो जरा सा सर्द हुआ,
फिर वही पुराना दर्द हुआ…….!!
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका,,,
वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…
मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…