जो कभी तेरी गोद में सर रख के बेखौफ सो जाता था ….
सुनो आज उसे सोने के लिए शराब की जरूरत पड़ती है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो कभी तेरी गोद में सर रख के बेखौफ सो जाता था ….
सुनो आज उसे सोने के लिए शराब की जरूरत पड़ती है !!
चलो, मर जाते हैं तुम पर..!!
बताओ, दफ़न करोगी सीने में..!!
ज़िंदगी अब बोझ लगती है बुज़ुर्गों की यहाँ,
बाप माँ अपने ही घर मेहमान अब होने लगे॥
आज़माइश की मुसलसल चोट से
ज़िन्दगी के पेंच ढीले हो गये
पीते-पीते सब्र की कड़वी दवा
ख़्वाहिशों के जिस्म नीले हो गये|
एक तरफा ही सही…प्यार तो प्यार है…
उसे हो ना हो…लेकिन मुझे बेशुमार है…!
थोड़ी सी तमीज़
मुझे भी फ़रमा
मेरे मौला,
रंजिश के इस दौर में
और भी बेख़ौफ़
होता जा रहा हूँ….
उनके रूखसार पै बहते हुए आंसू तौबा,
हमने शोलों पै मचलती हुई शबनम देखी |
काली रातों को भी, रंगीन कहा है मैंने;
तेरी हर बात पे, आमीन कहा है मैंने!
जब हम लिखेंगे दास्तान-ए-जिदंगी तो,
सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा…
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही,
ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं