हाथ मिलते ही उतर आया मेरे हाथों में कितना कच्चा है दोस्त तेरे हाथ का रंग |
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बाद-ए-फ़ना
आया हूँ याद बाद-ए-फ़ना उनको भी
क्या जल्द मेरे सीख पे इमान लाये हैं |
तेरा भी अहसान
ऐ ज़िंदगी..
तेरा भी अहसान..क्यों रखा जाए,
तू भी ले जा..इस खाक से..हिस्सा अपना…..॥
बहुत कमियाँ निकालते हैं
बहुत कमियाँ निकालते हैं हम दूसरों में अक्सर….!!
आओ एक मुलाक़ात ज़रा आईने से भी कर ले…
आप मुझ से
आप मुझ से, मैं आप से गुज़रूँ….
रास्ता एक यही निकलता है…..
छोड़ जाने का गम नहीं
यूँ तो मुझे किसी के भी
छोड़ जाने का गम नहीं बस,
कोई ऐसा था जिससे ये उम्मीद नहीं थी..
तुम ही हमारे ना हुए
एक तुम ही हमारे ना हुए…
वरना दुनिया में क्या कुछ नही होता…
फ़न तलाशे है
फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग
देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग |
मैं जब भी
मैं जब भी अपनी पुरानी स्कूल के पास से गुजरता हूँ
सोचता हूँ मुझे बनाने में खुद टूट सी गयी है….
और जब भी में मेरे बेटे की प्रायवेट स्कूल के पास से गुजरता हूँ
मुझे हमेशा लगता है मुझे तोड़ कर खुद बन गयी |
ऐसा तराशा है
तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको…
हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..