उसे बेवफा कहकर..हम अपनी ही नजरो में गिर जाते..क्यूंकि वो प्यार भी अपना था..और पसंद भी अपनी..
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ना थी मेरी तमन्ना
ना थी मेरी तमन्ना कभी तेरे बगैर रहने की लेकिन,
मज़बूर को, मज़बूर की, मज़बूरियां, मज़बूर कर देती हैं…।।
मुसीबतों से निखरती हैं
मुसीबतों से निखरती हैं शख्सियतें यारों…….
जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…….
ज़ख़्म दे कर
ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या
बंद कर दिए हैं
बंद कर दिए हैं हम ने दरवाज़े इश्क के,
पर तेरी याद है कि दरारों से भी आ जाती है|
टूट कर भी
टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है…
मैने इस दुनिया मैं दिल सा कोई वफादार नहीं देखा..
एक बार भूल से
एक बार भूल से ही कहा होता की हम किसी और के भी है,
खुदा कसम हम तेरे सायें से भी दूर रहते…
वो दुआएं काश
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!
तुम कभी गलतफहमी में
तुम कभी गलतफहमी में रहते हो…कभी उलझन में रहते हो ,
इतनी जगह दी है तुमको दिल में तुम वहाँ क्यों नहीं रहते…!!
उसके रूठने की
उसके रूठने की अदायें भी, क्या गज़ब की है,
बात-बात पर ये कहना, सोंच लो .. फ़िर मैं बात नही करूंगी।