वो ढूंढते रहे इधर उधर शायद उन्हें हमारी तलाश थी
पर अफ़सोस जिस जगह पर थे
उनके कदम उसी कब्र में हमारी लाश थी …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो ढूंढते रहे इधर उधर शायद उन्हें हमारी तलाश थी
पर अफ़सोस जिस जगह पर थे
उनके कदम उसी कब्र में हमारी लाश थी …
बर्बाद करना था तो किसी और तरीके से करते।
जिंदगी बनकर जिंदगी ही छीन ली।
बहते पानी की तरह है फितरत- ए-इश्क,
रुकता नहीं,थकता नहीं,थमता नहीं, मिलता नहीं…
प्यार की फितरत भी अजीब है यारों…..
जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…
कभी जो काटती थी नोचती थी शाम से मुझको,
कलम से मैं उन्ही
तन्हाइयों की बात करता हूँ..
उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन,
कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है..
ज़माना हो गया बिस्मिल, तेरी सीधी निगाहों पे ,
खुदा ना ख्वास्ता, तिरछी नज़र होती, तो क्या होता !!!
कभी तो खर्च कर दिया करो..
खुद को मुझ पर…
तसल्ली रहें..
मामूली नही है हम….
मैं शैतान हूँ
कम से कम तब,
जब तुम मेरे सामने भगवान
बनने की कोशिश करो