वो एक ख़त

वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…?
देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….

तेरी तरफ जो

तेरी तरफ जो नजर उठी
वो तापिशे हुस्न से जल गयी
तुझे देख सकता नहीं कोई
तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं|