हसरतें जिद्दी औलाद सी होती है…
और जिंदगी मजबूर माँ सी..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हसरतें जिद्दी औलाद सी होती है…
और जिंदगी मजबूर माँ सी..!
किस जगह रख दूँ मैं तेरी याद के चराग़ को
कि रोशन भी रहूँ और हथेली भी ना जले।
तमन्ना बस इतनी है अफ़सोस हो तुम्हें..
छोड़ा है तुम ने बहुत आसानी से मुझे..
मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ.. मगर इतना तो बता…
देखकर मुझको… तेरे ज़हन में आता है क्या….
हम जिनसे प्यार करते है उनसे नाराज हो सकते है,
लेकिन नफ़रत कभी नहीं कर सकते !!
ना तोल मेरी मोहब्बत अपनी दिल लगीं से,
देख कर मेरी चाहत को तराजू टूट जाते हैं
नाज़ुक मिजाज है वो परी कुछ इस कदर..
पायल जो पहनी पाँव मै तो छम-छम से डर गई..
अब वहां यादों का बिखरा हुआ मलवा ही तो है..
जिस जगह इश्क ने बुनियादे-मका रखी थी..
बद्दुआये नहीं देता फकत इतना ही कहता हूँ..
के जिस पर आ जाएँ दिल तेरा वो बेवफ़ा निकले..
वहाँ तक तो साथ चलो ,जहाँ तक साथ मुमकिन है ,
जहाँ हालात बदल जाएँ , वहाँ तुम भी बदल जाना …