परिंदों ने नहीं जाँचीं कभी नस्लें दरख्तों की
दरख़्त उनकी नज़र में साल या शीशम नहीं होता
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इन्तेजार तो अब
इन्तेजार तो अब किसी का भी नहीं है,
फिर जाने क्यूँ पलटकर देखने की आदत नहीं गई…
पानी से भरी आँखें
पानी से भरी आँखें लेकर वह मुझे घूरता ही रहा,
वह आईने में खड़ा शख्स परेशान बहुत था !!
इसी ख़याल से
इसी ख़याल से पलकों पे रुक गए आँसू…
तेरी निगाह को शायद सुबूत-ए-ग़म न मिले..
हँसते रहो तो
हँसते रहो तो दुनिया साथ है,
आँसुओ को तो आँखों में भी जगह नहीं मिलती ।
दिल तुम्हारी तरफ
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुका सा जाता है..
किसी बेइमान बनिए का तराज़ू हो जैसा..
गुमान न कर
गुमान न कर अपनी खुश नसीबी का..
खुदा ने गर चाहा तो तुझे भी इश्क़ होगा..
बख्शे हम भी न गए
बख्शे हम भी न गए, बख्शे तुम भी न जाओगे..
वक्त जानता है, हर चेहरे को बेनकाब करना..
ये ना समझना कि
ये ना समझना कि खुशियो के ही तलबगार है हम..
तुम अगर अश्क भी बेचो तो उसके भी खरीदार है हम..
तूने मेरी मोहब्बत की
तूने मेरी मोहब्बत की इंतेहा को समझा ही नहीं..
तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..