खामोश चहरे पर हजारो पहरे होते है!

खामोश चहरे पर
हजारो पहरे होते है,
हँसती आँखों में भी
जख्म गहरे होते है,
जिनसे अक्सर
रूठ जाते है हम,
असल में उनसे ही
रिश्ते ज्यादा गहरे होते है .
ये दोस्ती का बंधन भी
बडा अजीब है…

मिल जाए तो बातें लंबी….
बिछड जाए तो यादें लंबी….।

ये बारिश भी तुम सी है!

ये बारिश भी तुम सी है,
जो थम गई तो थम गई।।

जो बरस गई तो बरस गई,
कभी आ गई यूँ बेहिसाब।।

कभी थम गई बन आफताब,
कभी गरज गरज कर बरस गई ।।

कभी बिन बताये यूँ ही गुज़र गई
कभी चुप सी है कभी गुम सी है
ये बारिश भी सच… तुम सी है…!!

लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ।

माँ

लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ।

दुःख थे पर्वत, राई माँ हारी नहीं लड़ाई माँ।

इस दुनिया में सब मैले हैं, किस दुनिया से आई माँ।

दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागर्म रजाई माँ।

जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई माँ।

बाबू जी तनख़ा लाए बस, लेकिन बरक़त लाई माँ।

बाबूजी के पांव दबा कर, सब तीरथ हो आई माँ।

सभी साड़ियां छीज गई थीं , मगर नहीं कह पाई माँ।

माँ में से थोड़ी-थोड़ी, सबने रोज़ चुराई माँ।

घर में चूल्हे मत बांटो रे, देती रही दुहाई माँ।

बाबूजी बीमार पड़े जब, साथ-साथ मुरझाई माँ।

रोती है लेकिन छुप-छुप कर, बड़े सब्र की जाई माँ।

लड़ते-लड़ते, सहते-सहते, रह गई एक तिहाई माँ।

बेटी की ससुराल रहे खुश, सब ज़ेवर दे आई माँ।

माँ से घर, घर लगता है, घर में घुली, समाई माँ।

बेटे की कुर्सी है ऊंची, पर उसकी ऊंचाई माँ।

दर्द बड़ा हो या छोटा हो, याद हमेशा आई माँ।

घर के शगुन सभी माँ से, है घर की शहनाई माँ।

सभी पराये हो जाते हैं, होती नहीं पराई माँ।