जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की…
हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की…
हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
हजारों चेहरों में,एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना..
ना चाहतों की कमी थी,और ना चाहने वालों की…!!
औकात क्या है तेरी, “ए जिँदगी”
चार दिन कि मुहोब्बत
तुझे तबाह कर देती है…..iii
हम भी फूलों की तरह कितने बेबस है,
कभी खुद टूट जाते हैं तो कभी लोग तोड ले जाते हैं…!!!
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये ,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके !!
देश कुछ इस तरह भी बदलने लगा है कि….
लोग गाय चराने में “शर्म”और…
कुत्ता घुमाने में “गर्व”करने लगे हैं…!!
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये !
देखी जो नब्ज मेरी, हँस कर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ,
तेरे हर मर्ज की दवा वही है …
रोटियों का स्वाद कुछ ‘बेहतर’ लगा..
आज खेतों में एक किसान को ‘मेहनत’ करते देखा था..!!
फासला और फैसला बड़ा एहमियत
रखते है जिंदगी में!
एक ज्यादा दूसरा गलत हर रिश्ता
तोड़ देता है!!