ऑफिस सरकारी हो या प्राइवेट..
चलता एक ही सिद्धांत पर है कि
आपका बॉस आपको नालायक समझता है
और आप उसे..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऑफिस सरकारी हो या प्राइवेट..
चलता एक ही सिद्धांत पर है कि
आपका बॉस आपको नालायक समझता है
और आप उसे..!!
उसने पूछा कि कौन सा तोहफा है मनपसंद,
मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है…
अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को,
जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन,
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद,
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
लफ्ज आप दो ,
गीत हम बनायेंगे ,
मन्जिल आप पाओ ,
रास्ता हम दिखायेंगे ,
खुश आप रहों ,
खुशियाँ हम दिलाएंगे ,
आप बस दोस्त बने रहो ,
दोस्ती हम निभाएंगे ..
नहीं मांगता भगवान कि, जिंदगी सौ साल की दे…
दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे..
कभी हम टूटे तो कभी ख्वाब टूटे,
ना जाने कितने टुकड़ो में अरमान टूटे.
हर टुकड़ा एक आइना हैं ज़िन्दगी का,
हर आईने के साथ लाखों जज़्बात टूटे..
प्यारीशायरी की कर के शायरी चोरी….
सच सच बताओ किसने कितनी फसाई है छोरी…
जो दिखाई देता वो हमेशा सच नहीं होता..
कही धोखे में आँखे है…कही आँखों के धोखे हैं..