जिंदगी पर बस

जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं…. बहुत मजबूत रिश्ते थे मेरे…. पर बहुत कमजोर लोगों से…..

रिवाज़ ही बदल गए

सुना था वफा मिला करती हैं मोहब्बत में…. हमारी बारी आई तो रिवाज़ ही बदल गए …

दिल बेजुबान है

दिल बेजुबान है तो क्या, तुम यूँ ही तोड़ते रहोगे..?!

कागज़ की नाव

बस इतनी सी बात समंदर को खल गईं, एक कागज़ की नाव मुझ पर कैसे चल गई!

मुझे बदल दिया

तुझे शिकायत है कि मुझे बदल दिया वक़्त ने…!कभी खुद से भी सवाल कर’क्या तूं वही है’…….?

ये सस्ती नहीं

ज़माने तेरे सामने मेरी कोई हस्ती नहीं,लेकिन कोई खरीद ले इतनी भी ये सस्ती नहीं…

दिल चीर जाते है

जो हैरान हैं मेरे सब्र पर उनसे कह दो.., जो आसूँ जमीं पर नहीं गिरते, अकसर दिल चीर जाते है ……!

तुम एक महंगे

तुम एक महंगे खिलोने हो और मै एक गरीब का बच्चा, मेरी हसरत ही रहेगी तुझे अपना बनाने की !!

Khud Hi Soch

tere siva me kisi or ka kese ho skta hu, tu khud hi soch tere jesa koi or h kya

सवालों में ही

सवालों में ही रहने दो मुझको… यकीं मानिए… मैं जवाब बहुत बुरा हूँ…

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