एहसास होता हैं

चलती रेल में खिड़की के पास बैठकर एहसास होता हैं,
मानों जो जितना करीब हैं,
वो तेज़ी से दूर जा रहे है..!!!

अभी तो बहुत दूर

अभी तो बहुत दूर तक जाना है कई रिश्तों को भुलाना है
मेरी मंजिल है बहुत दूर क्योंकि मुझे तो अलग पहचान बनाना है ।

याद टूट कर

जिस दिन भी तेरी याद टूट कर आती है “ऐ जान”

मेरी आँखों के साथ ये बारिश भी बरस जाती है…