परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं
जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं
जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है
कुछ इस तरह से हमने पूरी क़िताब पढ़ ली….
ख़ामोश बैठी रही ज़िंदगी…चाहतों ने पन्ने पलट दिए….
मुस्कुराओ….
क्योंकि यह मनुष्य होने की पहली शर्त है।
एक पशु कभी भी नहीं मुस्कुरा सकता।
मुस्कुराओ…..
क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है
और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।
ऐसा नहीं कि कहने को कुछ नहीं बाकी,
मैं बस देख रहा हूँ क्या ख़ामोशी भी समझते हैं सुनने वाले…!
मुद्दतों बाद ये दस्तक कैसी,,
ज़रूर कोई मतलबी होगा!!
Maila libash dekh kar ye faisla na
Kar….
Mai kis darkht ka fool hu ye fal btayega……..
Kon yonhi khushi se phirta hai
ghar hi jata jo mera ghar hota
हे भगवान,
मुझे उन बातों को स्वीकार करने का धैर्य प्रदान करो जिन्हें मैं बदल नहीं सकता हूं;
जिन चीजों को मैं बदल सकता हूं उनको बदलने का साहस दो
तथा इन दोनों में अंतर करने के लिए बुद्धि प्रदान करो।
वो शख्स भी क्या अदब से डूबा,
दरिया सामने था और तलब से डूबा….