रिश्ता निभाना मुश्किल नहीं,
बस थोड़ी सी वफ़ा चाहिए |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रिश्ता निभाना मुश्किल नहीं,
बस थोड़ी सी वफ़ा चाहिए |
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|
टपक पड़ते है आंसू जब तुम्हारी याद आती है,
ये वो बरसात है जिस का कोई मोसम नहीं होता!!
हुस्न और इश्क बहुत रोये गले मिल मिल कर…!!
जाने क्या कह दिया दीवाने ने दीवाने से….
खुश नसीब होते हैं बादल,
जो दूर रहकर भी ज़मीन पर बरसते हैं,
और एक बदनसीब हम हैं,
जो एक ही दुनिया में रहकर भी.. मिलने को तरसते हैं…
सुख मेरा, काँच सा था.. ना जाने कितनों को चुभ गया..!!
एक ही समानता है पतंग औऱ जिन्दगी मॆं..
ऊँचाई में हो तब तक ही वाह-वाह होती हैं!!
यहाँ हर कोई रखता है खबर ,
गैरो के गुनाहों की …..
अजब फितरत हैं ….
कोई आईना नही रखता !!
सुनो…
तुम्हारी दो बाहें मेरी जमीं…
तुम्हारी दो आँखें मेरा आसमान…
कुछ इस तरह से
मेरी वो फिकर करता है
अनजान बनकर ही सही
पर मेरा जिकर करता है|