सोचा था इस कदर

सोचा था इस कदर उनको भूल जाएंगे,
देख कर भी उन्हें अनदेखा कर जायेंगे,
जब सामने आया उनका चेहरा, तो सोचा,
बस इस बार देख लें, अगली बार भूल जाएंगे…..

लफ्ज़ वही हैं

लफ्ज़ वही हैं , माने बदल गये हैं
किरदार वही ,अफ़साने बदल गये हैं
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं..

कांच था मैं

कांच था मैं किस तरह हीरे से करता दोस्ती..
क्या पता कब काट देगा प्यार से छू कर मुझे…

मेरे दिल की कभी

मेरे दिल की कभी धड़कन को समझो या ना समझो तुम..
मैं लिखता हूँ मोहब्बत पे
तो इकलौती वजह हो तुम..तुम|

मैं अक्सर गुज़रता हूँ

मैं अक्सर गुज़रता हूँ उन तंग गलियों से,
जिसके मुहाने पर एक सांवली लड़की
जीवन के आख़िरी पलों में मेरा नाम पुकारती थी।
मैं अक्सर होकर भी नहीं होता हूँ
मैं अक्सर जीकर भी नहीं जीता,,
मैं उसे अब कभी याद नही करता|