मेरी खामोशी अलामत है मेरे इखलाख की
इसे बेजूबानी ना समझो
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी खामोशी अलामत है मेरे इखलाख की
इसे बेजूबानी ना समझो
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे….!!!!
बस यही सोच कर हर मुश्किलो से लड़ता आया हूँ..
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते..!!!
जिन्दगी में मुश्किलें तमाम है,
फिर भी इन होठों पे मुस्कान है,
जीना जब हर हाल में है तो,
फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है !!
वो भी अपने होठो पे इक खास हूनर रखते है,
दिल तोड के कह देते है कि आखिर हुआ क्या है…!!
अजीब लोगोँ का बसेरा है तेरे शहर मेँ,
गुरूर मेँ मिट जाते हैँ मगर याद नहीँ करते…
कह दो गमो से कहीं और बसेरा करे अब..!!
मेरे आक़ा की विलादत का दिन क़रीब है..!!
रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नही होती।
मैने फुटपाथो पर भी,जलते चूल्हे देखे है।
कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी…
किसी ने समेटा ही नहीं…
हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…
बिछड़ना है तो रूह से निकल जाओ..
रही बात दिल की तो उसे हम देख लेंगे..