निगाहों से छुप कर

निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा
जहाँ जाइएगा, हमें पाइएगा

मिटा कर हमें आप पछताइएगा
कमी कोई महसूस फ़र्माइएगा

नहीं खेल नासेह! जुनूँ की हक़ीक़त
समझ लीजिए तो समझाइएगा

कहीं चुप रही है ज़बाने-मोहब्बत
न फ़र्माइएगा तो फ़र्माइएगा

हमने सोचा था

हमने सोचा था दो चार दिन की बात होगी
पर तेरी यादों से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया…

बदलना आता नहीं

बदलना आता नहीं हमे मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हे हम इतना प्यार करते हैं|

लोगों ने कहा

लोगों ने कहा वक़्त के साथ लोग बादल जाते है ..
फिर क्या था …
मैंने कभी उन्हें लोगों में गिना ही नहीं …