ये रिवाजी पाबंदिया…
ये सरहदे कब हटेगी…
इंतज़ार है मुझे एक नई खुशनुमा सुबह का…
Tag: हिंदी शायरी
भरोसा करते है
हम जिन पर आँखे बन्द करके भरोसा करते है,
अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोल जाते है
अब कैसे हिसाब हो
उसकी मौहब्बत के कर्ज का,
अब कैसे हिसाब हो….
वो गले लगाकर कहती है,
आप बड़े खराब हो….
मेरा है मुझमें
अलग दुनिया से हटकर भी कोई दुनिया है मुझमें,
फ़क़त रहमत है उसकी और क्या मेरा है मुझमें.
मैं अपनी मौज में बहता रहा हूँ सूख कर भी,
ख़ुदा ही जानता है कौनसा दरिया है मुझमें.
इमारत तो बड़ी है पर कहाँ इसमें रहूँ मैं,
न हो जिसमें घुटन वो कौनसा कमरा है मुझमें.
दिलासों का कोई भी अब असर होता नहीं है,
न जाने कौन है जो चीख़ता रहता है मुझमें.
नहीं बहला सका हूँ ज़ीष्त का देकर खिलौना
कोई अहसास बच्चे की तरह रोता है मुझमें.
सभी बढ़ते हुए क्यों आ रहे हैं मेरी जानिब,
कहाँ जाता है आखि़र कौनसा रस्ता है मुझमें.
वक्त जरूर लगा
वक्त जरूर लगा पर मैं सम्भल गया क्योंकि।
मैं ठोकरों से गिरा था किसी के नज़रों से नहीं।।
उंगली मेरी वफ़ा
उंगली मेरी वफ़ा पे ना उठाना लोगों,
…
जिसे शक हो वो एक बार निभा कर देखे ।
Duniya to waise bhi
Dil bada rkhe
duniya to waise bhi
bahut chhoti hai……
जिस दिन अपने
जिस दिन अपने कमाए हुए पैसों से जीना सीख जायोगे ,
उस दिन आपके शौक अपने आप कम हो जायेंगे..!!
बहुत दूर की बात हैं
फ्री में हम किसी को ‘गाली’ तक नहीं देते…,,,
‘स्माइल’ तो बहुत दूर की बात हैं…!!!
उसने मेरे हाथ
उसने मेरे हाथ की लकीरें देखी और फिर हँस कर कहा….
तुझे ज़िन्दगी में सब कुछ मिलेगा एक मेरे सिवा….