Mohabbat ke kaafile ko kuch der to rok lo
aate hain hum bhi paanv se kaante nikaalkar
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
Mohabbat ke kaafile ko kuch der to rok lo
aate hain hum bhi paanv se kaante nikaalkar
एक ठहरा हुआ खयाल तेरा,
न जाने कीतने लम्हों को रफ्तार देता है..!
हम ना जीते हैं ना मरते हैं….
दर्द भेजो या दवा भेजो तुम ।
बोलने का अंदाज़ शायराना जरूर है… मेरा,
…
मगर हर दफा टूटने पर आवाज़ आये, वो आईना नहीं हूँ मैं ।
आधे से कुछ ज्यादा है, पूरे से कुछ कम…
कुछ जिंदगी… कुछ गम, कुछ इश्क… कुछ हम…
दिल की धडकनों में अचानक ये इज़ाफा कैसा…..
उसके होंठो पे कहीं नाम हमारा तो नही.
काश..!
निगाहे फेर लेने से…
ताल्लुक भी खत्म हो जाते..!!
छत , इतवार , परिंदे , पेड , किताब , कलम , शाम …
मैंने कहा था ना मेरा भी वक्त आएगा .!!
खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर,
लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ