दिल की कोरी किताब

दिल की कोरी किताब लाया हूँ, नर्म नाज़ुक गुलाब लाया हूँ ।

तुमने डर-डर के जो लिखे ही नहीं, उन खतों के जवाब लाया हूँ ॥

हाल पूछते नहीं

हाल पूछते नहीं ये बे-वफ़ा दुनिया जिंदा लोगों का,

चले आते हैं तैयार हो कर जनाज़े पे बारात की तरह..

हवा के साथ

हवा के साथ बहने का मज़ा लेते हैं वो अक्सर,
हवा का रुख़ बदलने का हुनर जिनको नहीं आता।