मुम्किन नहीं है ऐसी घड़ी कोई बना दे-
जो गुज़रे हुए वक़्त के घण्टों को बजा दे
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समझने को वक़्त
इश्क़ के समझने को वक़्त चाहिए जानाँ
दो दिनों की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलती
मेरा होकर भी
मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता है,
दिल भी साला मसला-ऐ-कश्मीर लगता है
नाम छोटा है
नाम छोटा है, मगर दिल बडा रखता हू, पैसो से ऊतना अमिर नही हु मगर अपने यारो के गम खरिदने कि हैसीयत रखता हू.
मुझेना हुकुम का ईक्का बनना है ना राणी का बादशाह. हम जोकर ही अच्छे है जिस्के नशीब मे आयेंगे बस उसकी बाजी पल्टा देंगेँ
ना खुशी खरीद पाता हूँ
ना खुशी खरीद पाता हू ना ही गम बेच पाता हू
फिर भी मै ना जाने क्यु हर रोज कमाने जाता हूँ
सुकून नहीं है
स्वर्ग में सब कुछ है लेकिन मौत नहीं है,
गीता में सब कुछ है लेकिन झूठ नहीं है,
दुनिया में सब कुछ है लेकिन किसी को सुकून नहीं है,
और आज के इंसान में सब कुछ है लेकिन सब्र नहीं है
ये अहसास होता है
वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है
जो छूट गया वो लम्हा बेहद खास होता है…
हर ख्वाब पूरा हो
जरूरी नही हर ख्वाब पूरा हो..
सोचा तो उसे ही जाता है जो अधूरा हो…
चेहरे पर गिराकर जुल्फ
चेहरे पर गिराकर जुल्फ बरबस मुस्कुराते हो !
खुदाया कहर ढाते हो खुदाया कहर ढाते हो !!
तुम्हारे बदन पर बूँदें ठहर पातीं नहीं फिर भी !
क्यों हर एक मौसम की बारिश में नहाते हो !!
कभी छुपकर के आते थे अभी छुपते हो हमसे भी !
ये दौरे इश्क है जानां क्यों छुपते और छुपाते हो !!
नज़र देखीं नजारे भी बहुत अन्तर नहीं होता !
नजारों को अगर देखें , नज़र तीरे चलाते हो !!
कभी बाँधी कभी खोलीं ये जुल्फें तुमने कई बार !
कुछ एैसे धूप छाँव कर सूरज को सताते हो !!
बहुत मासूम से लगते हो हमको भी मगर सुनलो !
कमसिनी में भी जवानी की बहुत बातें बनाते हो !!
तुम शौक से सुनलो सभी तेज़े गज़ल लेकिन !
खुद ही गुनगुनालो तुम सखी को क्यों सुनाते हो