नशे में चूर होगी तू किसी ग़ैर की बांहों में,
दबाकर लकड़ियों में जब मुझे दुनिया जलायेगी
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नशे में चूर होगी तू किसी ग़ैर की बांहों में,
दबाकर लकड़ियों में जब मुझे दुनिया जलायेगी
हँसते हुए चेहरों को ग़मों से आजाद ना समझो,
मुस्कुराहट की पनाहों में हजारों दर्द होते हैं!
देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट,
हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं।
इस शहर में मज़दूर जैसा दर-बदर कोई नहीं..
जिसने सबके घर बनाये उसका घर कोई नहीं..
हर बार रिश्तों में और भी मिठास आई है,
जब भी रूठने के बाद तू मेरे पास आई है !!
चल पड़ा हूँ मगर दिल से ये चाहता हूँ..
उठ के मुझे वो रोक ले और रास्ता ना दे..
तुझसे मिलता हूँ तो सोच में पड़ जाता हूँ..
के वक्त के पाँव में जंजीर पह्नाऊ कैसे..
उस मोड़ से शुरु करे आ फिर से जिंदगी..
हर शह जहां हसीन थी..और हम तुम अजनबी..
ये सगंदिलो की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब, यहाँ पलकों पर बिठाते है, नजरों से गिराने के लिए…
दिल की हेराफेरी संभलकर कीजिये हुजूर..
अंजाम ऐ मोहब्बत जुर्म बड़ा संगीन होता है