तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से, मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है.!!
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मत पहनाओ इन्हें
मत पहनाओ इन्हें मनचाहा लिबास
रिश्ते तो बिना श्रृगांर ही अच्छे लगते हैं…
कुछ जख़्मों की
कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब
ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….
तेरे एक-एक लफ्ज़ को
तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने,
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातो ने !!
अजब हाल है
अजब हाल है, तबियत का इन दिनो,
ख़ुशी ख़ुशी नहीं लगती और गम बुरा नहीं लगता !!
रो पड़ा वो
रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते,
जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!
मुजे ऊंचाइयों पर देखकर
मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग,
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..
जिस नजाकत से…
जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं।
चल ना यार हम
चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते हैं हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे|