ज्यादा कुछ नही बदला उम्र बढ़ने के साथ…
बचपन की जिद समझौतों में बदल गयी…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज्यादा कुछ नही बदला उम्र बढ़ने के साथ…
बचपन की जिद समझौतों में बदल गयी…!!
तेरा हाथ छूट जाने से डरता हूँ मैं दिल के टूट जाने से डरता हूँ|
बस इक हवा का फेर है वो भी #हवा हो जाएगा
मैं सोचता रह जाऊँगा मुझ में ये मुझ सा कौन है
यही हुस्नो-इश्क का राज है कोई राज इसके सिवा नहीं जो खुदा नहीं तो खुदी नही, जो खुदी नहीं तो खुदा नहीं
हमने काँटों को भी नरमी से छुआ है..
लोग बेदर्द हैं जो फूलो को भी मसल देते हैं..
इतनी बिखर जाती है तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे..!
की लोग पुछने लगते है “इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी..??
तुम नहीं हो तो ,
कोई आरजू नहीं;
बातें नही; नींद नहीं…
जागे हुए है,
ख्वाब सारे;
सिमटती हुई रात के साथ…
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
आग़ाज़ भी रुस्वाई …..अंजाम भी रुस्वाई….
ख़ुश हो ऐ दिल कि मोहब्बत तो निभा दी तू ने
लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले
आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।