वो जिंदगी जिसे समझा था कहकहा सबने…..
हमारे पास खड़ी थी तो रो रही थी अभी |
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शीशे में डूब कर
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को….
कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को……!!
ये चांद की आवारगी
ये चांद की आवारगी भी यूंही नहीं है,
कोई है जो इसे दिनभर जला कर गया है..
बड़ी अजीब सी है
बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी,
उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।
रिश्ते बनावट के पसंद
रिश्ते बनावट के पसंद नहीं मुझे..
दोस्त हों या दुश्मन सब…. असली हैं मेरे..
किस्मत ऊपर वाला लिखता है . .
कहते है किस्मत ऊपर वाला लिखता है . . . !
फिर उसे क्यों लाता है ज़िन्दगी में जो किस्मत में नही होता|
बात बे बात पर
बात बे बात पर तेरी बात का होना,
अब इसे ईश्क ना समझूं तो क्या समझूं?
हम ने तो वफ़ा के
हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू
के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को
इतना भी ख़याल न हुआ |
मुल्क़ ने माँगी थी
मुल्क़ ने माँगी थी
उजाले की एक किरन..
निज़ाम ने हुक़्म दिया
चलो आग लगा दी जाय..!!
उनको मेरी आँखें पसंद है
उनको मेरी आँखें पसंद है,
और मुझे खुद कि आँखों में वो|