जहाँ पे आख़री साँस रहा करती है….
मैंने तुझे वहीं पर छुपा के रखा है|
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ज़िन्दगी यूँ ही
ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए ,
फिर रूठकर वक़्त गवाँने की जरूरत क्या है|
रोते-रोते थक कर
रोते-रोते थक कर जैसे कोई बच्चा सो जाता है….
सुनो,
हाल हमारे दिल का अक्सर कुछ ऐसा ही हो
जाता है|
पिघली हुई हैं
पिघली हुई हैं, गीली चांदनी,
कच्ची रात का सपना आए
थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी,
नींद में कोई अपना आए
नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…
अपने ही साए में
अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ,
जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..
दुश्मनों के साथ
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है,
देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन……
मंज़ूर नहीं किसी को
मंज़ूर नहीं किसी को ख़ाक में मिलना,
आंसू भी लरज़ता हुआ आँख से गिरता है…..
प्यार अपनों का
प्यार अपनों का मिटा देता है ,इंसान का वजूद ,
जिंदा रहना है तो गैरों की नज़र में रहिये…….
ज़िन्दगी के मायने तो
ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे ,
अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो…
दर्द लिखते रहे….
दर्द लिखते रहे….आह भरते रहे
लोग पढ़ते रहे….वाह करते रहे।