मैं शब्दों से कहीं ज्यादा हूँ…
इक बार सृजन करके देखो मुझे…
ज़िन्दगी और ज़िन्दगानी में फ़र्क बूझ पाओगे…
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कुछ तहखानों में
कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…
कमाल की मोहब्बत
कमाल की मोहब्बत थी उसको हम से …….
अचानक ही शुरू हुई और बिन बतायें ही ख़त्म|
हर एक दर्द को
हर एक दर्द को आंसू नहीं मिलते
गमो का भी मुक़्क़दर होता है साहेब|
अनपढ़ बन्दा हूँ
अनपढ़ बन्दा हूँ मोहतरमा,
तेरे सिवा कुछ आता ही नही…..!!
ख़त्म हुआ न समझ
तू मझे ख़त्म हुआ न समझ,
वो तीली भी आधी ही ज़ली थी जिसने जंगल ज़लाया था !
कमाल की तक़दीर
कमाल की तक़दीर पायी होगी उस शख्स ने,
जिसने तुझसे मोहब्बत भी ना की हो और तुझे पा लेगा।।
उङती हुयी धुल
उङती हुयी धुल सी तुम्हारी
यादें ले आती है पानी आँखो में |
तेरी हसरतें भी ….
तेरी हसरतें भी ……. आ बसीं आखिर,
मेरी ख्वाहिशों की ……. यतीम कहानी में
खुद ही पलट लेता हूँ …
खुद ही पलट लेता हूँ …….. किताबे जिंदगी के पन्ने,
वो लोग अब कहाँ……. जो मुझमें, मुझे तलाशते थे|