तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की,
मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की,
मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में
कहा सिर्फ उस ने इतना के ख़ामोशी है मुझे बहुत पसंद इतना सुनना था के हम ने अपनी धडकनें भी रोक ली|
न जाने क्यूँ बहुत उदास है दिल आज….
लगता है की किसीका पक्का इरादा है हमें भूल जाने का
महफ़िल की ये संध्या ऐसे शांत क्यों हो गयी..क्या मेरे शायर दोस्तों के कलम की श्याहि समाप्त हो गयी।।
हर इक ग़म को दिया करती हैं अब गिन-गिन के मोती
ये आँखें दिन-ब-दिन कंजूस होती जा रही हैं।।।।
मुझे समझाया न करो अब तो हो चुकी,
मोहब्बत मशवरा होती तो तुमसे पूछकर करते |
कुछ अधूरे एहसासों ने ही तो थामा है हर पल,
चाँद तो पूरा होके भी रात का न हुआ……
हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में…
कुछ दर्द चले जाते है सिर्फ मुस्कुराने में…!!!
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
दिल को इसी फ़रेब में रखा है उम्रभर
इस इम्तिहां के बाद कोई इम्तिहां नहीं|