काश दर्द के भी पैर होते,
थक कर रुक तो जाते कहीं
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क्या क़यामत है
क्या क़यामत है के कू- ऐ-यार से
हम तो निकले और आराम रह गया।
टूटता है तो टूट जाने दो
टूटता है तो टूट जाने दो,
आइने से निकल रहा हूँ मैं…
थकता जा रहा हूँ
रोज़ रोज़ थकता जा रहा हूँ तेरा इंतज़ार करते करते,
रोज़ थोड़ा थोड़ा टूटता जा रहा हूँ तुजसे एक तरफ़ा प्यार करते करते|
कभी तो खर्च कर
कभी तो खर्च कर दिया करो..
खुद को मुझ पर…
तसल्ली रहें..मामूली नही है हम|
जुनून हौसला और पागलपन
जुनून हौसला और पागलपन आज भी वही है
थोडा सिरीयस हुआ हूँ सुधरा नही हूँ
उधर कीधर कीधर से
ईधर उधर कीधर कीधर से मिले,
दोस्ती के घाव जिगर विगर से मिले।
शमा बे दाग है
शमा बे दाग है जब तक उजाला न हुआ
हुस्न पे दाग है गर चाहने वाला न हुआ|
ज्यादा कुछ नहीं
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र बढने के साथ,
बस बचपन की जिद समझौतों में बदल जाती है…
जिस वक़्त दिल चाहे..
जिस वक़्त दिल चाहे… आप चले आओ
मैं……. कोई चाँद पर नहीं रहता