हमने जाना के सोच समझ कर किसी को हाल ए दील बताना……
और ये भी जाना के क्या होता है आखो का समन्दर हो जाना….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हमने जाना के सोच समझ कर किसी को हाल ए दील बताना……
और ये भी जाना के क्या होता है आखो का समन्दर हो जाना….
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखु|
बस थोड़ी दूर है घर उनका,
कभी होता ना दीदार उनका ।
मेरी यादों में है बसर उनका,
इतफ़ाक या है असर उनका ।
सहर हुई है या है नूर उनका,
गहरी नींद या है सुरुर उनका ।
पूछे क्या नाम है हुज़ूर उनका,
हम पे यूँ सवार है गुरुर उनका ।
हर गिला-शिकवा मंजूर उनका ।
कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना….,
वजह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है…!
आ कहीं मिलते हे हम ताकि बहारें आ ज़ाए,
इससे पहले कि ताल्लुक़ में दरारें आ जाए…
बहुत बरसों तक वो कैद में रहने वाला परिंदा,
नहीं गया उड़कर जब कि सलाखें कट चुकी थी…
परिंदे बे-ख़बर थे सब पनाहें कट चुकी हैं,
सफ़र से लौट कर देखा कि शाख़ें कट चुकी हैं…
सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें,
क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे…
एक ही ख्वाब ने,
सारी रात जगाया है,
मै ने हर करवट सोने की कोशिश की..
हर एक इसी उम्मीद मे चल रहा है जी रहा है,
कुछ को उसुलो ने रोक रखा है कुछ को कुसूरो ने…