उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया|
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पता नही होश मे हूँ..
पता नही होश मे हूँ.. या बेहोश हूँ मैं….
पर बहूत सोच समझकर खामोश हूँ मैं..!!
बहुत देर करदी
बहुत देर करदी तुमने मेरी धडकनें महसूस करने में..!
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वो दिल नीलाम हो गया, जिस पर कभी हकुमत तुम्हारी थी..!
तेरी ख़ुशी की खातिर
तेरी ख़ुशी की खातिर मैंने कितने ग़म छिपाए…..,
अगर….,,
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मैं हर बार रोता तो सारा शहर डूब जाता….
वो इस तरह
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे……!
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बारिश में भीग के आये थे मिलने, शायद वो आंसु छुपा रहे थे…!!
नाराजगी गैरों से
नाराजगी गैरों से की जाती है अपनों से नहीं,
तू तो गैर था हम तो अपने दिल से नाराज़ हैं.!!
कुछ साँपों का काटा
कुछ साँपों का काटा नहीं मांगता पानी
रिश्तों को पहनना ज़रा अस्तीन झटककर …..
तेरी सूरत को
तेरी सूरत को जब से देखा है
मेरी आँखों पे लोग मरते हैं…
सारे मुसाफिरों से
सारे मुसाफिरों से ताल्लुक निकल पड़ा
गाड़ी में इक शख्स ने अखबार क्या लिया…
सोचा था छुपा लेंगे
सोचा था छुपा लेंगे अपना ग़म…
पर ये कम्बख़त “आँखे” ही दगा कर गयीं…