सुकून और इश्क वो भी दोनों एक साथ !!
रहने दो जी, कोई अक्ल की बात करो ।।
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भूल न जाऊं
भूल न जाऊं माँगना उसे हर नमाज़ के बाद,
यही सोच कर हमने नाम उसका दुआ रक्खा है।
लौट आती है
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली,
जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
सुकून मिलता है
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर
कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती|
तुम जो ये ख्वाब
तुम जो ये ख्वाब साथ लिए सोते हो,यही तो इश्क़ है|
जाऊँ तो कहा जाऊँ
जाऊँ तो कहा जाऊँ इस तंग दिल दुनिया में,
हर शख्स मजहब पूछ के आस्तीन चढ़ा लेता है…!
इनसान बनने की फुर्सत
इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती,
आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!
आज फिर बैठे है
आज फिर बैठे है
इक हिचकी के इंतज़ार में..
पता तो चले
वो हमें कब याद करते है…
रिश्ते की गहराई
रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो..
*सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है…!
रात ढलने लगी है
रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है….
ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..