आया कुछ इस अदा से के पलकों को भिगो गया,
झोंका तेरे ख्याल का कितना अजीज था.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आया कुछ इस अदा से के पलकों को भिगो गया,
झोंका तेरे ख्याल का कितना अजीज था.
अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए,
बरसात में भी याद जब न उनको हम आए।
अपनो की चाहतो ने दिए ऐसे फरेब..
रोते रहे लिपट कर, हर अजनबी से हम..!
दर्द हल्का है, सांसे भारी है …
जिए जाने की ” रस्म ” जारी है |
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर ,
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा हैं…
कोई आँखों से बात कर लेता है,
कोई आँखों में मुलाक़ात कर लेता है,
बड़ा मुश्किल होता है जवाब देना,
जब कोई इंग्लिश में बात कर लेता है.
हमे क्या पता था की जिंदगी इतनी अनमोल है…
कफ़न ओड़ कर देखा तो….
नफरत करने वाले भी रो रहे थे..
दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो..
इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं…!!
अजीब था उनका अलविदा कहना,
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं,
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में,
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नही
खामोश चहरे पर
हजारो पहरे होते है,
हँसती आँखों में भी
जख्म गहरे होते है,
जिनसे अक्सर
रूठ जाते है हम,
असल में उनसे ही
रिश्ते ज्यादा गहरे होते है .
ये दोस्ती का बंधन भी
बडा अजीब है…
मिल जाए तो बातें लंबी….
बिछड जाए तो यादें लंबी….।