नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू
जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू
जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो..
रहता हूं किराये के घर में…
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं….
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी…
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं….
जल जायेगा ये मेरा घर इक दिन…
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं….
खुद के सहारे मैं श्मशान तक भी ना जा सकूंगा…
इसीलिए जमाने में दोस्त बनाता हूँ ।
गुज़र गया आज का दिन भी
तमाम ख्वाहिशे लेकर..
साँसों ने शरीर का दामन ना छोड़ा
तो कल फिर मिलेंगे..
गुज़र गया आज का दिन भी
तमाम ख्वाहिशे लेकर..
साँसों ने शरीर का दामन ना छोड़ा
तो कल फिर मिलेंगे..
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से तेरी यादों का रिश्ता,
बातचीत किसी से भी हो, ख्याल तेरा ही रहता है…!!!
तू उदास न रहा कर तुझे वास्ता है हमारा ,
एक तेरा ही चेहरा देख कर तो हम अपना गम भुलाते हैं…!!!
एक बार आना है तेरे शहर में जिन्दगी,
देखूँ तो सही,
बेवफाओं का शहर होता कैसा है…!!!
वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं…
पैसे वाले की बेटी..
रात के आठ बजे कही जाए..
तो “चलन” है…!
गरीब की बेटी…
अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए..
तो “बदचलन” है..!!
दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो…
एक ” कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है …!!
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया…
तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे…
अभी सूरज नही डुबा जरा सी शाम होने दो
मैँ खुद लौट जाऊँगा मुझे नाकाम तो होने दो
मुझे बदनाम करने का बहाना ढुँढता है जमाना
मैँ खुद हो जाऊँगा बदनाम पहले नाम तो होने दो