वो दास्तान मुकम्मल करे तो अच्छा है
मुझे मिला है ज़रा सा सिरा कहानी का..
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बुझा सका है
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले…..
ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता…!!
इस शहर के
इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों !
गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!
उसे ज़ली हुई लाशें
उसे ज़ली हुई लाशें नज़र नही आती
मग़र वह सुई से धागा गुज़ार देता है
लिबास तय करता है
लिबास तय करता है आदमी की हैसियत..
कफ़न ओढ़ लो तो दुनिया कांधे पे उठाती है..
तुझे जी नहीं पा रहे हम
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में,तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,माफ़ करना ऐ ज़िंदगी, तुझे जी नहीं पा रहे हम…..
ज़ख्म इतने गहरे हैं
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशान बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुलो रही आँखें; अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें!
मीठी यादों के साथ
मीठी यादों के साथ गिर रहा था,
पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…
रोज सोचता हूँ
रोज सोचता हूँ तुझे भूल जाऊ, रोज यही बात…. भूल जाता हूँ
कोई पटवारी वाकिफ़ है
कोई पटवारी वाकिफ़ है क्या तुम्हारा,
अपनी ज़िन्दगी तुम्हारे नाम करवानी थी