नादाँ तुम भी नही
नादाँ हम भी नही
मुहब्बत का असर
इधर भी है …उधर भी है
Tag: शर्म शायरी
जब से तूने हल्की हल्की
जब से तूने हल्की हल्की बातें की हैं….
तबियत भारी भारी सी रहती है……
तेरे आने का
तेरे आने का इंतजार रहा
उम्र भर मौसम-ऐ-बहार रहा
दिल को जो मेरे
दिल को जो मेरे ले गया, उसकी तलाश क्या करूँ
जिसने चुराया दिल मेरा, वो तो मेरी नज़र में है |
तुझ को देखे बिना
तुझ को देखे बिना करार ना था,
एक ऐसा भी……वक्त गुजरा है..!!
फूलों को मैं बिछाऊं…
फूलों को मैं बिछाऊं…
कहां है मेरी बिसात..
कांटे उठा लिए हैं मगर …
मैने तेरी राह के…!!
रात भर भटका है
रात भर भटका है मन मोहब्बत के पुराने पते पे ।
चाँद कब सूरज में बदल गया पता नहीं चला ।।
हर रात कुछ
हर रात कुछ खवाब अधूरे रह जाते हैं…
किसी तकिये के नीचे दबकर अगली रात के लिये….
किसी भी मौसम मे
किसी भी मौसम मे खरीद लीजिये जनाब…
मोहब्बत के जख्म हमेशा ताजे ही मिलेगें…!
यूँ ना हर बात पर
यूँ ना हर बात पर जान हाजिर कीजिये,
लोग मतलबी हैं कहीं मांग ना बैठे…!!!