बहुत शौक था हमें सबको जोडकर रखने का
होश तब आया जब खुद के वजूद के टुकडे देखे..
Tag: शर्म शायरी
जब तक ये दिल
जब तक ये दिल तेरी ज़द में है
तेरी यादें मेरी हद में हैं।
तुम हो मेरे केवल मेरे ही
हर एक लम्हा इस ही मद में है ।
है दिल को तेरी चाह आज भी
ये ख्वाब ख्वाहिश-ऐ- बर में है ।
मुहब्बत इवादत है खुदा की
और मुहोब्बत उसी रब में है।
जब तक ये दिल
जब तक ये दिल तेरी ज़द में है
तेरी यादें मेरी हद में हैं।
तुम हो मेरे केवल मेरे ही
हर एक लम्हा इस ही मद में है ।
है दिल को तेरी चाह आज भी
ये ख्वाब ख्वाहिश-ऐ- बर में है ।
मुहब्बत इवादत है खुदा की
और मुहोब्बत उसी रब में है।
तेरी मुस्कुराहट पे
तेरी मुस्कुराहट पे दिल जानिश़ार हैं
तेरी मोहब्बत पे हम यू गिरफ्तार हैं!
नशा मुझ में है
नशा मुझ में है और मुझी में है हलचल
अगर होता नशा शराब में तो नाच उठती बोतल|
कुछ भी बचा न कहने को
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई..,
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई..!!
चराग़-ए-तूर
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है,
ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है…
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए,
सामने आइना रख लिया कीजिए…
हम भी वही होते हैं
हम भी वही होते हैं,
रिश्ते भी वही होते हैं,
और रास्ते भी वही होते हैं,
बदलता है तो बस…..
समय, एहसास, और नज़रिया…!!
तुम्हारे बिन न जाने क्यों
तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता
बड़ा दिलकश है हर मंजर मगर अच्छा नहीं लगता
तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता
और
जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन
जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन
अगर बेटी ना हो घर में घर अच्छा नहीं लगता…