ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख….
तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख….
तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!
शोहरत की आरज़ू ने किया बेवतन हमें,
इतनी बढ़ी ग़रज़ कि उसूलों से हट गए।
तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना…
दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…
सियासत हो या मोहब्बत…”यारो…!”..
जीतता वही हे जो फरेबी हैं….!
रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं…
उसके लिए दिन भर “ईमानदारी” से जीना पड़ता हैं….!!
वो खुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा..!
जिसे नफरत है उसके बनाये बन्दों से..!
समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा…
…
वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।
वो खुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा..!
जिसे नफरत है उसके बनाये बन्दों से..!
हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”..
अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
सिर्फ हम ही नहीं परेशान याद में
उनकी,
काजल तो उनकी आँखों का भी कुछ
बिखरा सा लगता हैं !!