यही
बहुत है तूने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यही
बहुत है तूने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
अगर
तुम वजह ना पूछो तो एक बात कहूँ!!!
बिना याद किये तुम्हें अब
रहा नहीं जाता है
एक हसीन पल की जरूरत है हमें,
बीते हुए कल की जरूरत है हमें,
सारा जहाँ रूठ गया हमसे..
जो कभी ना रूठे ऐसे दोस्त की जरूरत है हमे
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे,
आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से .
संभव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से
बदल गया वक़्त बदल गयी बातें बदल गयी
मोहब्बत कुछ नहीं बदला तो वो है
इन आँखों की नमी और तेरी कमी !!
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है….
सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है….!
सालो साल बातचीत से उतना सुकून नही मिलता,
जितना एक बार महबूब के गले लग कर मिलता है….!!
इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे….
इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे !!
सच्चे इश्क में अल्फाज़ से ज्यादा एहसास की एहमियत होती है।